शुभ कामनाएं सभी को...
संजीव "सलिल"
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com
*
शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.
शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..
शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.
शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..
शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.
शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..
शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.
शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..
शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.
शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले..
शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.
शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..
शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.
शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..
शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.
शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें..
शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.
शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..
शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.
शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..
शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.
शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..
शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.
शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..
शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है..
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.
शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..
*******************
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)